ज़िन्दगी के मायने में
इस तरह घुस गई है
कि इसके होने से मेरा होना तय है
नहीं तो सब बेबात है!
ये करती है तय
कि तुम्हें कितना आदर मिलना चाहिए
मेरे सम्मान का सूचक है
नौकरी!
न तो मेरी जेब भारी है
न ही मेरी ज़बान जानती है
कैसे करते हैं चापलूसी,
फिर कैसे मिलेगी नौकरी!
जबकि मेरी औकात है
मामूली-सी!
6 comments:
Hello ;)
ek baat kahoon?
aap chitrakaar bhi behtareen ho,adhyapika bhi achhi hi hongi, lekin kavyitri___________
OH MY GOD ! maar dala..............
itne saral shabdon me itni umda kavita karna sab k bas me nahin hota ...........maa sharda ne aapko ye kala bharpoor dee hai...badhaiyan___
WISH YOU ALL THE BEST & ENJOY YOUR TAILENT !
अपराजिता जी
"नौकरी" रचना में
आपने नौकरी और औकात का जो मेल बैठाया है.
वर्तमान की ये सोच वाजिब है.
- विजय
http://hindisahityasangam.blogspot.com/
samvedansheel rachana
बहुत गहराई है
achchha hai. kavita achchhi hai.
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