Wednesday, September 8, 2010

शादी के बाद अपना नाम















मायके से लेते हुए विदा,
बस यही ले आई थी साथ
जो कि रह सकेगा उम्र भर
मेरा ‘अपना’ 
लेकिन परम्परा, रीति के नाम पर
वह भी मुझसे छीन लिया जायेगा !!
जैसे छीन लिया
बाबा को
आई को
भाई-बहन को
उस आँगन को
जिसमें महक रहा होगा
मेरा अस्तित्व आज भी!!
छोड़ दिया अगर इसे भी-
तो खत्म हो जाएगी
मेरे जन्म की कहानी
मेरा सारा बचपन
उसने कितनी आसानी से कह दिया
तुमने आज भी
नहीं बदला अपना नाम
शादी के बाद तो लड़कियाँ
पति के नाम से ही जानी जाती हैं ना !!!