Sunday, August 16, 2009

हम



हम

नींद तो चाहते हैं

लेकिन थकना नहीं

साथ तो चाहते हैं

हाथ देना नहीं

कैसा समय है?

जब हम

सफल होना चाहते हैं

सार्थक नहीं !

Monday, August 10, 2009

कविता रचना कठिन काम है


भावों के उछाल को

दिमाग के सवाल को

बाँध पाना, संयत बनाना

बड़ा कठिन काम है दोस्त,

तुम कितनी सरलता से कहते हो

आज कल कुछ लिखो विखो

और कुछ नहीं तो

कविता ही कर डालो,

शायद तुम नहीं जानते दोस्त

यूँ कागज़ कलम उठाकर

बुन देने से मकड़जाल

कविता नहीं रची जाती,

कविता उगती है

भावों के स्पंदन से

विचारों की दरारों में,

तोड़ती है मन की कुंठाएँ

खोलती है खिड़कियाँ

छनकर पहुँचती है जहाँ से

धूप और हवा

कविता रचती है इतिहास

बुनती है भविष्य

उठाती है प्रश्न

जगाती है वर्तमान

ताकि हम सोने न पाएँ

ताकि हम रोते न रह जाएँ!

Thursday, August 6, 2009

मुझे याद है


मुझे याद है

तुमने कहा था

मेरे प्रश्न के उत्तर में :-

“तुम मेरे जीवन के

प्रत्येक विचार में

प्रत्येक खाली स्थान में

अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवा चुकी हो।

मैं पानी का बिल जमा करवाने

चाहे कितनी भी लम्बी लाइन में खड़ा रहूँ

मुझे लगता है

वहाँ केवल हम-तुम हैं

एक-दूसरे से , एक-दूसरे को साझा करते,

मुझे लगता है लोगों की जाने

किस बात की जल्दबाजी है कि

वे परेशान हैं, हैरान हैं

किसी भी तरह लाइन में अपना स्थान

खोना नहीं चाहते

या तो पहुँच जाना चाहते हैं

सबसे आगे।

जबकि मैं खुश होता हूँ

सबसे पीछे खड़ा रहकर भी।।“

Sunday, August 2, 2009

पिता की रिटायरमेंट पर












ठहर जाने के लिए आपकी ज़िन्दगी में,

मैं, पड़ाव आ ही गया.

गुज़रा वक्त नहीं जो आ न सकूँ पर

मैं, बदलाव आ ही गया.

गवाह हूँ मैं आपकी मेहनत का

संघर्ष का, पर भरे कंधों में

मैं, झुकाव आ ही गया.

अभी नहीं हुए हैं आप ज़िम्मेदारियों से निवृत पर

देखा न,

मैं, सुझाव आ ही गया.

हम सभी देंगे आपका साथ हर पग पर

अब इस डाली में, कुछ मुड़ाव आ ही गया.

____________________ गंगा