Wednesday, May 13, 2009

स्वार्थी हूँ


स्वार्थी हूँ
यह जानती हूँ!
इसलिए
कि तुम गलत न हो सको
मुझे एक और बार
होना पड़ेगा स्वार्थी.
इसलिए
कि तुम कह सको
तुमने मुझे जाना था सही
मुझे एक और बार
होना पड़ेगा स्वार्थी.
इसलिए
कि फिर तुम्हारी जुबाँ
न गुनहगार हो
न हो सिर लज्जित...
मुझे होना पड़ेगा स्वार्थी!

2 comments:

अनिल कान्त said...

haan yahi to pyar hai !!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

स्‍वार्थी तो हर इंसान होता है। फर्क यह होता कोई कह देता है, कोई छुपा लेता है। अच्‍छी कविता।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }