माँ से पहले मैं
न तत्व थी
न अस्तित्व था
न जान थी
न जीवन था
माँ ने दिया सब कुछ मुझे
हे माँ अपर्ण हर पल तुम्हें
जीवन में आने से पहले
माँ ने मुझे अपना गर्भ दिया
जीवन में आने पर मुझे
अपने तन से भोजन दिया
जीवन का हर एक पल
आपके कर्ज में डूबा हुआ
जीवन का हर पल आपके
प्यार से सींचा हुआ
महिमा कभी न जान सकूँ
शायद आपके रूप की
भूख मेरी बढ़ रही प्रत्येक पल
आपके साथ व स्नेह की !!!
-------------रचनाकार : चेतना शर्मा
8 comments:
बेहद ह्रदयस्पर्शी रचना लिखी है……………माँ पर बहुत ही सुन्दर भाव संजोये हैं।
ह्रदयस्पर्शी रचना ...भावपूर्ण रचना के लिये बधाई !
आप की रचना 08 अक्टूबर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
http://charchamanch.blogspot.com/2010/10/300.html
आभार
अनामिका
माँ से जुड़ा हर ख्याल हर बात बेहद अच्छी लगती है.... आपकी रचना बहुत ही प्यारी और मन को छूने वाली है......
चेतना शर्मा जी की सुन्दर और संवेदनशील रचना पढवाने के लिए आभार
bahut achchi.
adbhut sunder rachna apni ma ke liye to hum bhi aisa nahi likh paye congratulations
अनामिका जी, कविता लिखो मत, रचो और उतनी ही तन्मयता से जितनी तन्मयता से हम सड़क पार करते हैं.
Post a Comment