भूले हुए लम्हों का पता याद आया
मेरी मां बहुत भोली बचपन के दिन, दोस्तों की होली वो गांव मेरा घर छोटे छोटे खेल बचपन का सफर
छोटा सा कंधा वो बड़ा सा बस्ता कभी हुई हार, पर याद है जब मैं जीता
गांव से दिल्ली शहर में आए बढ़ते ही गए कोई रोक न पाए
घोषित हुआ जब नेट का परिणाम जे आर एफ निकला तब किया आराम
जन्म के बाद रहे सभी लम्हे याद भूल गए एक दिन आप अपना ही जन्म दिन...
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3 comments:
सही चित्रांकन:)
अच्छा प्रयास..नयापन है.
दिलचस्प !
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