होते हैं सिर्फ चेहरे,
चेहरा लंगड़े का, लूले का,
चेहरा भूखे काले नंगे बच्चे का,
चेहरा सूखी छाती से चिपकाये
माँ और उसके लाल का,
चेहरा बूढ़े क्षीणकाय का,
चेहरा सर्दी में फटे चीथड़ों के बीच
ठिठुरती बुढ़िया का,
चेहरा हाथ पैर तोड़कर
भिखारी बना दी गई गुड़िया का,
भिखारी सिर्फ चेहरा है?
जो टकराते ही
हाथ जेब में जाता है.
2 comments:
आपने एक ऐसी बात कही है जिसपर शायद ही कभी हमारा ध्यान गया हो। आपकी कलम बहुत ही सवेदनशील है।
घुघूती बासूती
achchha likha, aprajita.
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