बे-मौसम की बरसात मेंझूम उठा रौशनी में नहाया शहरशहर के बाशिंदों कोकब से था इंतज़ारऐसी ही किसी सुहानी शाम का,उधर शहर के निकटवर्ती गाँवों मेंबरबाद हो गईगेहूँ की पकी पकाई फसलबे-मौसम की बरसात ने धो डाला साल भर के संतोष का स्वप्न।
बहुत संवेदनशील रचना है---चाँद, बादल और शाम
रचना पसंद आई!
Mere mann ko chho gayi ye rachana..kam shabdon mein bahut hi marmik baat kahi hai aapne.Navnit Nirav
बहुत सुंदर रचना है ..
Post a Comment
4 comments:
बहुत संवेदनशील रचना है
---
चाँद, बादल और शाम
रचना पसंद आई!
Mere mann ko chho gayi ye rachana..kam shabdon mein bahut hi marmik baat kahi hai aapne.
Navnit Nirav
बहुत सुंदर रचना है ..
Post a Comment