Tuesday, July 15, 2008

पहाड़


पहाड़ के सूनेपन को बाँटने के लिए
उग आया है एक नन्हा पौधा
पहाड़ पर दोनों करेंगे खूब सारी बातें
सबसे
पर जब खत्म हो जायेंगी
दोनों की ढेर सारी बातें भी
तो दोनों ही हो जायेंगे
अकेले, उदास गुमसुम पहाड़ की तरह
फिर से
यह तो तय ही है तय ही था
क्योंकि हर एक को बाँटना होगा
अपना अकेलापन अपने ही आप से.

6 comments:

रंजू भाटिया said...

क्योंकि हर एक को बाँटना होगा
अपना अकेलापन अपने ही आप से.

सही बात .सबको अपना अकेलापन ख़ुद ही तय करना होगा .सुंदर

डॉ .अनुराग said...

वाह....बेहद खूबसरत....लाजवाब....

Anonymous said...

bhut sundar. kaha ka pahad hai.

Udan Tashtari said...

क्योंकि हर एक को बाँटना होगा
अपना अकेलापन अपने ही आप से.

वाह--सुंदर!!

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!

क्योंकि हर एक को बाँटना होगा
अपना अकेलापन अपने ही आप से.

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PANKAJ SHARMA