Sunday, July 20, 2008
बेटे जैसा बनाने के लिए
वह जुटती रहती है
दिनभर
बुनती है भविष्य
समेटती है वर्तमान
अपनी दोनों बेटियों को
बेटे जैसा बनाने के लिए.
2 comments:
परमजीत सिहँ बाली
said...
बढिया! सुन्दर भाव हैं।
July 20, 2008 at 9:48 PM
Udan Tashtari
said...
वाह!!!
July 21, 2008 at 4:42 AM
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2 comments:
बढिया! सुन्दर भाव हैं।
वाह!!!
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