मैंने भारत के भविष्य को
जलती सड़कों पर नंगे पैरों चलते देखा है.
मैंने भारत के भविष्य को
सड़कों पर, चौराहों पर
भीख मांगते देखा है.
मैंने भारत के भविष्य को
फटे बोरे में कबाड़ बीनते देखा है.
मैंने भारत के भविष्य को
भूख से बिलखते तड़पते देखा है.
मैंने देखा है
एक गंभीर सवाल बनते
भारत के भविष्य को.
3 comments:
मैंने भारत के भविष्य को
फटे बोरे में कबाड़ बीनते देखा है.
- काफी गहरी बात है ये, अच्छा लिखा....
भारत के भविष्य के दृष्य का एक पहलू यह भी है और काफी भूतकाल से है. दुखद तो खैर है ही.
excellent
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