Sunday, July 12, 2009

उनकी आँखें


बाँट लिया करती हैं,

उनकी आँखें.

चुपके से हौले से न जाने क्या

छोड़ दिया करती हैं

उनकी आँखें.

भाँप लिया करती है मेरा ग़म

मेरी उदासी मेरी बौखलाहट,

मन तक टटोल लिया करती है

उनकी आँखें.

उनकी आँखें

जिनमें ज़िंदगी है रंग है

सपने हैं जो संग है,

सच कहूँ

मेरा आईना है

उनकी आँखें.

4 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

आँखे मन की आवाज़ होती है..
कितना सुंदर भाव दर्शाया आपने.
बहुत बढ़िया रचना
बधाई हो!!!

M VERMA said...

मेरा आईना है
उनकी आँखें.
========
बहुत सुन्दर आभास और अभिव्यक्ति

निर्मला कपिला said...

सच कहूँ
मेरा आईना हैं
उनकी आँखें
बहुत सुन्दर रचना है और जिन की आँखों को ये वरदान मिलता है उन्हीं को समर्पित होने मे ही सुख है प्यार है आभार्

mehek said...

khubsurat ehsaas