बचपन से
आसमान में टहलते चाँद ने
उस हर वक्त में दिया है मेरा साथ
जब कोई भी नहीं होता था पास.
उन बहुत लम्बी काली रातों को
मैंने हर बार गुज़ारा है चाँद के साथ
जिनमें सपनों के टूट जाने की टीस थी
और हर बार उसी चाँद ने
मुझे ज़िन्दगी को जीने की उम्मीद दी
शायद उसे अफ़सोस था
न होने का मेरे साथ उजाले में
इसीलिए 'आप' आ गये इस वीराने में
अब मेरे साथ
तारों से झिलमिलाते नए ख्वाब हैं
चाँद ही नहीं अब सूरज भी मेरे साथ है.
9 comments:
और हर बार उसी चाँद ने
मुझे ज़िन्दगी को जीने की उम्मीद दी
शायद उसे अफ़सोस था
न होने का मेरे साथ उजाले में
इसीलिए 'आप' आ गये इस वीराने में
अब मेरे साथ
तारों से झिलमिलाते नए ख्वाब हैं
चाँद ही नहीं अब सूरज भी मेरे साथ है.
बहुत ख़ूब...
vah bhut badhiya rachna. badhai ho.
आप तो लक्की हैं चांद के साथ साथ सूरज और तारे भी आपके साथ हैं । तभी तो इतनी सुंदर रचना कर पाते हैं।
बहुत अच्छा लिखा है . भाव भी बहुत सुंदर है. पर्याप्त जानकारी भी है. जारी रखें
बेहतरीन लिखा है आपने।
बढ़िया है......
रचना और भाव दोनों बहुत सुंदर ।
चाँद ही नहीं अब सूरज भी मेरे साथ है...
खुब..
तारों से झिलमिलाते नए ख्वाब हैं
चाँद ही नहीं अब सूरज भी मेरे साथ है.
पढ़ कर अच्छा लगा
आपने जो कहना चाहा वो स्पष्ट है
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वीनस केसरी
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