Sunday, June 22, 2008

ऐसी आवाज़ दे दो









अगर मैं दिल हूँ तुम्हारा,
तो मुझे ये दिल दे दो.
मैं माफ़ी नहीं चाहती,
बस हाथों में हाथ दे दो.
ज़िन्दगी भर न भूलूँ जो मैं,
वो अहसास दे दो.
बख्श दो मुझको - यूँ पल,
तुम तड़पाओ ना,
सोने से पहले
अपना एक ख्वाब दे दो.
आती-जाती सांसों में
एक शब्द सा सुनती हूँ,
इन धुंधले शब्दों को सुन सकूं मैं,
ऐसी इन्हें आवाज़ दे दो.
अगर कुछ न दे सको तो
फिर इतना करना,
जो कल मिलनी है
वो मौत आज दे दो.
________________चेतना

3 comments:

Anonymous said...

आती-जाती सांसों में
एक शब्द सा सुनती हूँ,
इन धुंधले शब्दों को सुन सकूं मैं,
ऐसी इन्हें आवाज़ दे दो.
bhut sundar.acchi rachana ke liye badhai.

dpkraj said...

आपकी कविता बहुत अच्छी लगी। इस पर मेरे मन में यह कविता कहने का मन आया। आप ऐसे ही लिखतीं रहें। बहुत अच्छा लगता है।
दीपक भारतदीप
................................................
दिल का कोई सौदा नहीं होता
जिस पर आता उसी का होता
चलते है जो जीवन मे साथ
निभाते हैं हर समय
चाहे न चलते हों राह पर हाथ में डालकर हाथ

अपने मन की आंखें बंद कर लो
नींद स्वयं ही आ जाती है
जो संभाला कोई ख्याल तो
फिर गायब हो जाती है
सोने से मिला सुख नहीं मिलता
जिसके लिये बनी है रात
गीत-संगीत के तोहफों से
बिखरी पड़ी है दुनियां
अपने कानों से मीठी आवाज सुनने के लिये
क्या किसी से शब्द और आवाज मांगना
इस जीवन में किससे आशा
और किससे निराशा
जिनसे उम्मीद करोगे
बनायेंगे तमाशा
जीवन को जिंदा दिलों की तरह जियो
जब तक न छोड़े अपना साथ
.........................................

Udan Tashtari said...

अगर कुछ न दे सको तो
फिर इतना करना,
जो कल मिलनी है
वो मौत आज दे दो.


--वाह!! बहुत भावपूर्ण.