ठहर जाने के लिए आपकी ज़िन्दगी में,
मैं, पड़ाव आ ही गया.
गुज़रा वक्त नहीं जो आ न सकूँ पर
मैं, बदलाव आ ही गया.
गवाह हूँ मैं आपकी मेहनत का
संघर्ष का, पर भरे कंधों में
मैं, झुकाव आ ही गया.
अभी नहीं हुए हैं आप ज़िम्मेदारियों से निवृत पर
देखा न,
मैं, सुझाव आ ही गया.
हम सभी देंगे आपका साथ हर पग पर
अब इस डाली में, कुछ मुड़ाव आ ही गया.
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गंगा
3 comments:
bhut hi sundar abhivyakti.or bhav purn bhi.likhte rhe.
bahut badhiya.....seedhi dil me utar gayi...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
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