मायके से लेते हुए विदा,
बस यही ले आई थी साथ
जो कि रह सकेगा उम्र भर
मेरा ‘अपना’
लेकिन परम्परा, रीति के नाम पर
वह भी मुझसे छीन लिया जायेगा !!
जैसे छीन लिया
बाबा कोआई को
भाई-बहन को
उस आँगन को
जिसमें महक रहा होगा
मेरा अस्तित्व आज भी!!
छोड़ दिया अगर इसे भी-
तो खत्म हो जाएगी
मेरे जन्म की कहानी
मेरा सारा बचपन
उसने कितनी आसानी से कह दिया
तुमने आज भी
नहीं बदला अपना नाम
शादी के बाद तो लड़कियाँ
पति के नाम से ही जानी जाती हैं ना !!!
12 comments:
पहचान को पह्चान देती एक सशक्त और मार्मिक रचना……………सच अपनी पहचान से समझौता नही करना चाहिये।
pehchan badalna koi dukhad ghatna nahi hai. har budhhiman vyakti apni pehchan badlne me hi laga rahta hai. nahi?
सार्थक अभिव्यक्ति ....
आप की रचना 10 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
स्त्रियों के अस्तित्व एवम अहम् को चोट पहुंचाने वाली बेमानी परम्पराओं पर सटीक प्रहार ! सुन्दर रचना ! बधाई एवम् शुभकामनाएं !
http://sudhinama.blogspot.com
http://sadhanavaid.blogspot.com
sunder bhav ke sath ek sunder si kavita aapne prastut ki hai........
very nice.
upendra ( www.srijanshikhar.blogspot.com )
झकझोरती रचना...
सशक्त और मार्मिक रचना…
गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...
दास सर जिस पहचान का ज़िक्र कर रहे हैं वो एकदम अलग चीज़ है............... हम औरतें खुद के नाम से पहचाने जाना चाहते है न की किसी कुल में ब्याह दिए जाने से..... में समझती हूँ इस कविता का पथ बहुत अभिधात्मक है
अपराजिता,
बहुत दिनों बाद मैंने तुम्हारी कविता पर अपनी टिप्पणी का जबाव देखा, इस बात मुझे हार्दिक अफ़सोस है. लेकिन मैं यह सोचता भी हूँ और आप जैसे गंभीर लोगों से पूछता भी हूँ कि यह अभिधामूलक 'ध्वनियाँ' कहीं हमें विपथ नहीं कर रहीं ? कविता का कथ्य मुझे मुझे गहरे तक प्रभावित कर रहा है और मेरी, मैं दुबारा कहना चाहता हूँ कि मेरी, अभिलाषा थी कि इस भावबोध पर कोई व्यंजनामूलक कविता, तुम्हारी लिखी कविता, पढता. धन्यवाद.
अपने अस्तित्त्व को टटोलती कविता पंक्तियाँ।
बस एक चाह कि 'मेरा अपना...' भी कुछ हो लेकिन वह भी किसी को स्वीकार्य नहीं और उससे 'उसका अपना' सबकुछ छीन लिया जाता है।
व्यवस्था या सत्ता परिवर्तन की चाह या अपनी स्वतंत्र जगह बनाने की अद्मय लालसा...
शुभकामनाएं...
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