नौकरी की अर्जी भरते हुए
बैंक की पर्ची भरते हुए
परिचय के समय नाम बताते हुए
मुझसे क्यों कहा जाता है
“पूरा नाम बताइए”
क्यों नाम के लिए जाति
किसी पूरक का काम करती है
क्यों संविधान ने आरक्षण लागू किया
पर नहीं बनाया वह कानून
जिसमें मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा जाता
“केवल नाम लिखें, जाति नहीं”
शायद तभी धीरे-धीरे खत्म हो जाते
विमर्श के कई मुद्दे
जिनको हमने मिटने नहीं दिया!
5 comments:
अपराजिता जी
अगर ये मुद्दे हट गए, जाति लुप्त हो गई तो नेताओं की प्रजाति का क्या होगा ,ये परजीवी इसपर ही ज़िंदा है
Sonal ji se poori tarah sehmat...isi jaati ke bhed pe hi to unki rotiyan sikti hain...
जाति का आडम्बर हटाने के लिये मुहिम की जरूरत है जैसे कि इसे बनाये रखने के लिये मुहिम जारी है.
बहुत खूबसूरत ब्लॉग मिल गया, ढूँढने निकले थे। अब तो आते जाते रहेंगे।
Sonal ji aur Verma jin se poori tarah sehmat.
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