
लोग देखते हैं
तुम्हारा चेहरा
तुम्हारा बदन
तुम्हारा काम
और अंदाजा लगा लेते हैं
बल्कि यक़ीनन जान लेते हैं
तुम्हारे व्यक्तित्व को,
तुम्हारी तेज चलती ज़बान
पुरूषों को
संस्कृति, सभ्यता, परम्परा जैसी चट्टानों पर
भीम के गदा की गूँज-सी सुनाई पड़ती है।
तुम्हारा थिरकता बदन
जिन्हें टीवी का चैनल बदलने नहीं देता
वह तुम्हारे घर बसाने के सपने को लेकर
मूँह और भौहें सिकोड़ते हैं,
तुम बार-बार कहती हो
अपने संघर्ष की कहानी
लेकिन तुम नहीं जानती
बाज़ार ने सच को स्टंट बना दिया है,
और उसका शिकार ये समाज
नहीं पहचान पाता उस औरत को
जिसने पुरूषों की नोचती निगाहों का जवाब
अपनी धारदार जुबान के रूप में
तैयार कर लिया है।
तुम्हारे संघर्ष में लोगों को
मसाला दिखता है,
तुम्हारे काम को
आइटम का तमगा बना
अपनी संस्कारी बुद्धिमत्ता पर
उछलते हैं,
तुमने सबको
अंगूठा दिखा दिया राखी।