Friday, December 19, 2008

कुछ हाइकू


1.
एक चाहत
जो वक्त से
जूझना चाहती है
हालात से
लड़ना चाहती है
अपनी औक़ात भुलाकर …

2.
तुमने दिए पंख
कहा उड़ो…
दिखाया आकाश
जिसके असीम विस्तार में
उड़ना वाकई सुखद था
पर दिशाहीन कबतक?

3.
ज्यों चुरा लेता है
गर्मी का मौसम
बादलों से थोड़ी बारिश
सर्दी का मौसम
गुनगुनी धूप की तपिश
मैं चुरा लेना चाहती हूँ
वक्त
तुमसे मिलने का…

4.
हम
नींद तो चाहते हैं
लेकिन थकना नहीं
साथ तो चाहते हैं
हाथ देना नहीं
कैसा समय है?
जब हम
सफल होना चाहते हैं
सार्थक नहीं !

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया हाईकू है ।बधाई।
यह ज्यादा अच्छा लगा-

तुमने दिए पंख
कहा उड़ो…
दिखाया आकाश
जिसके असीम विस्तार में
उड़ना वाकई सुखद था
पर दिशाहीन कबतक?

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

कृपया इन्हें हाइकु न कहें\ हाइकु ऐसी त्रिपदी होती है जिसमें केवल १७ अक्षर होते हैं - ५-७-५ अक्षर की कविता को हाइकु कहते हैं।मेरा एक उदाहरण--
मैं कवि छोटा
कवि क्रम का अंत
जैसे हलन्त॥