मेरी ताकत मेरी कमज़ोरी
मेरा साहस मेरी सीनाजोरी हो तुम
मेरा रास्ता मेरी हद
मेरी राहत मेरा दर्द हो तुम
मेरी बेरूखी मेरी हँसी
मेरी आरजू मेरी खुशी हो तुम
ज़िन्दगी की सुबह से शुरू तुम
रात को ख्वाब बन
आँखों से सिमट आते हो
मैं तुम से हूँ
जब भी होते हो दूर
अहसास दिलाते हो.
6 comments:
काफी अच्छी कविता लिखी है आपने अपराजिता जी आप सच में अपराजित ही हो नाम के अनुसार बधाई हो
bahut accha likha hai aap ne.
vakai acche bhav prastut kiye hai aap ne. good
एक जबरदस्त समर्पण भाव। अच्छी कविता।
एक जबरदस्त समर्पण भाव। अच्छी कविता।
और आपके द्वारा बनाया गया मधुबनी आर्ट देखकर तो मैं आपकी कला का कायल हो गया! वाकई बेहतरीन!
गणपति भी!
bhaut bhaut sunder kavita
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