मुझे याद है
तुमने कहा था
मेरे प्रश्न के उत्तर में :-
“तुम मेरे जीवन के
प्रत्येक विचार में
प्रत्येक खाली स्थान में
अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवा चुकी हो।
मैं पानी का बिल जमा करवाने
चाहे कितनी भी लम्बी लाइन में खड़ा रहूँ
मुझे लगता है
वहाँ केवल हम-तुम हैं
एक-दूसरे से , एक-दूसरे को साझा करते,
मुझे लगता है लोगों की जाने
किस बात की जल्दबाजी है कि
वे परेशान हैं, हैरान हैं
किसी भी तरह लाइन में अपना स्थान
खोना नहीं चाहते
या तो पहुँच जाना चाहते हैं
सबसे आगे।
जबकि मैं खुश होता हूँ
सबसे पीछे खड़ा रहकर भी।।“
2 comments:
यथार्थ में भी संवेदना के तंतु कितनी गहराई से थामे रहते हैं, आपने समझा दिया है - बहुत कुछ सम्मोहन की अवस्था | धन्यवाद
बहुत गहरी बात की है, बधाई!!
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