Thursday, December 8, 2011

लड़की की नज़र

बस स्टैंड पर बैठी लड़की कि नज़र
डूबते सूरज कि लालिमा पर पड़ी और उसकी आँखे चमक उठी
उसने तुरंत उस बेहद दिलकश नज़ारे को साझा करने के लिए
बगल ही में बैठे प्रेमी से कहा
देखो मुझे उसमे तुम ही दिख रहे हो.....
तुम्हारा नाम आसमान कि लाल बिंदी बन गया है......
प्रेमी ने उसकी उत्सुक आँखों में डूबते हुए
हिंदी फिल्म के गाने कि एक लाइन दोहराई
''तेरे चेहरे से नज़र नहीं--
हटती नज़ारे हम क्या देखें''....
लड़की समझी बस दुनिया इसी एक पंक्ति में सिमट आई है ......
समय के घूमते पहिये पर एक शाम ऐसी भी आई
जब उसी लड़की ने डूबते सूरज को देख प्रेमी को देखा
और उसने कहा......
क्या ?
कुछ कहना चाहती हो ?

3 comments:

अनामिका की सदायें ...... said...

waqt k badlaav ko sabko jhelna padta hai.

sunder abhivyakti.

डॉ .अनुराग said...

good one.

हिंदी_की_खनक said...

यह समय का बदलाव होता है जो परिस्थितियों के अनुसार बदल जाता है
बहुत अच्छी प्रस्तुति है